Property Documents – आज के समय में प्रॉपर्टी खरीदना किसी सपने के सच होने जैसा है, लेकिन ये सपना बुरे अनुभव में तब बदल सकता है जब आप दस्तावेजों की जांच-पड़ताल किए बिना ही कोई घर या जमीन खरीद लेते हैं। रियल एस्टेट के बढ़ते बाजार और जमीन की बढ़ती कीमतों ने कुछ लालची लोगों को इस धंधे में फर्जीवाड़ा करने का मौका दे दिया है। कई लोग नकली दस्तावेज तैयार करके मासूम खरीदारों को ठग लेते हैं। ऐसे में अगर आप प्रॉपर्टी खरीदने का मन बना चुके हैं तो सबसे पहले सभी जरूरी डॉक्यूमेंट्स की अच्छे से जांच कर लें, ताकि आपकी मेहनत की कमाई कहीं धोखे का शिकार न बन जाए।
रेरा सर्टिफिकेट की अहमियत को न करें नजरअंदाज
जब भी आप कोई नया घर या फ्लैट खरीदने की सोचें, तो सबसे पहले ये चेक करें कि वो प्रोजेक्ट रेरा यानी रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी में रजिस्टर्ड है या नहीं। रेरा का मकसद ही प्रॉपर्टी से जुड़े घोटालों को रोकना है और खरीदार को एक सुरक्षा कवच देना है। अगर प्रोजेक्ट रेरा में पंजीकृत है, तो इसका मतलब है कि बिल्डर ने जरूरी मंजूरियां ली हैं और आपको फ्लैट मिलने की पूरी गारंटी है। रेरा की वेबसाइट पर जाकर आप बड़ी आसानी से प्रोजेक्ट की स्थिति जान सकते हैं। बिना रेरा अप्रूवल के कोई भी प्रोजेक्ट खरीदा तो आगे चलकर मुश्किलें ही मुश्किलें हो सकती हैं।
सेल एग्रीमेंट में छिपी बातों को समझना जरूरी
सेल एग्रीमेंट यानी विक्रय समझौता उस कागज़ की तरह होता है, जिसमें आपकी प्रॉपर्टी डील की पूरी कहानी लिखी होती है। इसमें कब कब्जा मिलेगा, किस तरीके से पेमेंट करना है, और किन शर्तों पर डील फाइनल होगी, सब कुछ दर्ज होता है। लेकिन इस दस्तावेज़ को सिर्फ साइन करने की बजाय ध्यान से पढ़ना और समझना बेहद जरूरी है, क्योंकि कई बार इसमें ऐसे क्लॉज छिपे होते हैं जो बाद में आपको परेशानी में डाल सकते हैं। खासकर अगर आप होम लोन ले रहे हैं तो बैंक भी इस एग्रीमेंट को ही आधार बनाकर लोन मंजूर करता है।
कब्जा प्रमाणपत्र से जानिए किसका है हक
कई बार ऐसा होता है कि कागजों में तो मालिक कोई और होता है लेकिन उस जगह पर कब्जा किसी और का होता है। ऐसे में ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट यानी कब्जा प्रमाणपत्र की जरूरत होती है। ये डॉक्यूमेंट स्थानीय अथॉरिटी जारी करती है और ये बताता है कि फ्लैट या प्रॉपर्टी वैध रूप से निर्माण के बाद रहने लायक है और उस पर किसी तरह का अवैध कब्जा नहीं है। अगर आप ये जांच नहीं करते तो आगे चलकर कानूनी पचड़े में फंस सकते हैं।
एनकंब्रेंस सर्टिफिकेट से जानिए प्रॉपर्टी पर है कोई बोझ या नहीं
एनकंब्रेंस सर्टिफिकेट यानी भारमुक्त प्रमाणपत्र से आपको ये पता चलेगा कि जिस प्रॉपर्टी को आप खरीदने जा रहे हैं, उस पर कोई लोन तो नहीं है या वो किसी कानूनी विवाद में तो नहीं उलझी हुई है। इससे ये भी पता चलता है कि इस प्रॉपर्टी की पिछले कुछ सालों में कितनी बार खरीद-फरोख्त हुई है। अगर प्रॉपर्टी पर बैंक लोन है और उसकी अदायगी नहीं हुई है, तो वो भी इसमें साफ लिखा होता है। इस डॉक्यूमेंट से आप बड़ी मुसीबत से बच सकते हैं।
एनओसी और रजिस्ट्री पेपर्स की पुष्टि करना न भूलें
अनापत्ति प्रमाणपत्र यानी एनओसी ये दर्शाता है कि संबंधित अथॉरिटी को प्रॉपर्टी की बिक्री से कोई आपत्ति नहीं है। ये डॉक्यूमेंट विक्रेता से मांगना आपका हक है। इसके साथ ही रजिस्ट्री के कागज़ और स्वामित्व प्रमाणपत्र ये साबित करते हैं कि प्रॉपर्टी का असली मालिक कौन है। साथ ही दाखिल-खारिज की प्रक्रिया भी पूरी होनी चाहिए, यानी सरकारी रिकॉर्ड में मालिक का नाम अपडेट होना चाहिए। अगर ये नहीं हुआ तो भविष्य में मालिकाना हक साबित करना मुश्किल हो सकता है।
अंत में रखें ध्यान, जल्दबाज़ी से बचें
संपत्ति खरीदना एक बहुत बड़ा निर्णय होता है, इसलिए किसी भी बात में जल्दबाजी न करें। जितना पैसा आप प्रॉपर्टी खरीदने में लगा रहे हैं, उससे कहीं ज्यादा जरूरी है उस प्रॉपर्टी के दस्तावेजों की जांच। अगर किसी भी दस्तावेज को लेकर संदेह हो तो बिना झिझक किसी अनुभवी वकील या प्रॉपर्टी कंसल्टेंट से सलाह जरूर लें। सही जानकारी और सतर्कता से ही आप एक सुरक्षित और वैध प्रॉपर्टी के मालिक बन सकते हैं।
Disclaimer
यह लेख केवल सामान्य जानकारी देने के उद्देश्य से लिखा गया है। इसमें दी गई जानकारी का उपयोग किसी भी कानूनी निर्णय के लिए न किया जाए। प्रॉपर्टी से संबंधित किसी भी तरह की खरीद-फरोख्त से पहले योग्य वकील या संपत्ति सलाहकार से सलाह लेना जरूरी है क्योंकि स्थानीय कानून और प्रक्रियाएं अलग-अलग हो सकती हैं।